है तू ही इन में...
है तू ही दिन में, है तू ही रात में
है तू ही सुबह में, है तू ही शाम में
है तू ही चारों पहर में
है तू पूरब में, है तू ही पचशिम में
है तू ही उत्तर में, है तू ही दक्षिण में
है तू ही चारों दिशों में
है तू ही मक्का में, है तू ही मदिना में
है तू ही मस्जिद में, है तू ही मन्दिर में
है तू ही चारों धाम में
है तू ही राम में, है तू ही रहीम में
है तू ही ईसा में, है तू ही गुरु में
है तू ही चारों रूपों में
है तू ही होली में, है तू ही दिवाली में
है तू ही क्रिसमस में, है तू ही ईद में
है तू ही चारों तहवार में
है तू ही लय में, है तू ही ताल में
है तू ही सरगम में , है तू ही सदा में
है तू ही सातों सुर में
है तू ही लाल में, है तू ही हरा
है तू ही पीले में, है तू ही नीले में
है तू ही सातों रंग में
है तू ही दिल में, है तू ही आँखों में
है तू ही होतों में, है तू ही जुबान में
है तू ही पाचों इन्द्रियों में
है तू ही जीवन में, है तू ही मृत्यु में
है तू ही दोनों सत्यों में.
है तू ही श्रद्धा में, है तू ही सबुरी में
है तू ही दोनों उपदेशों में
~sai Preet