ॐ साईं राम
विजयादशमी को महासमाधि
साईं प्रभु जी हो गए
महासमाधि में लीन
अश्रुपूरित नयन लिए
भक्त खडे बन दीन
काल कराल आन खडा
द्वारकामाई के द्वारे
स्वयं प्रभु की आज्ञा हो तो
यम भी कैसे टारे
विजयादशमी का दिवस चुना
महाप्रयाण के हेत
परम ईश में प्रभु मिले
साधन सभी समेट
सावधान किया साईं ने
भक्त जनों को आप
अन्तस दानव मार कर
हो जाओ निष्पाप
मार सको तो मार दो
अपनी "मैं" का रावण
सदगुरू साईं की शिक्षा को
कर लो हृदय में धारण
भेदभाव की भेद कर
मन में खडी दीवार
मानव मानव से करे
भातृवत अति प्यार
काम क्रोध मद मत्सर लोभ
वैर द्वेष कुविचार
अहंकार सब त्याग कर
क्षमा हृदय में धार
यही दशहरा पर्व है
दमन करो निज पाप
दलो सभी विकार को
बनो शुद्ध और पाक
~Sai Sewika
जय साईं राम