ओम साईं राम
ये शोर क्यूं मचा है
ये बवंडर क्यूं उठा है
ये कैसा है विवाद
ये कैसा है फ़साद
क्या दुनिया में ऐसा
पहली बार हुआ है
कि इश्क ने किसी आशिक के
दिल को छुआ है
एक सोने के सिंहासन को
मुद्दा बना डाला
एक बेमानी सवाल को
बेमतलब ही उछाला
जो स्वामी है सारे जग का
राजाओं का है राजा
वो महामहिम है दाता
धन्वन्तरी महाराजा
मोहताज नहीं यकीनन
वो ऐसी सौगातों का
पर है ख़्याल रखता
भक्तों के जज़्बातों का
कर लेता है कबूल
जो भी करो तुम अर्पण
बस भक्ती भाव हो पूरा
और पूर्ण हो समर्पण
अगर वो ना चाहे
तो पत्ता तक ना हिलता
ना धरती अम्बर होता
ना मानव जीवन मिलता
फिर क्यूं हम खुद ही
इस बहस को बढाएं
भक्ती के सिंहासन में
विवादों के जोडें पाये
बाबा के साथ कृप्या
ना राजनीति जोडें
रहने दें ज़ोर आज़माइश
ये रस्साकशी छोडें
बाबा को अपने मन के
सिंहासन पर बैठाएं
मालिक वो सारे जग का
उस से ही लौ लगाएं
~ Sai Sewika
जय साईं राम