ॐ सांई राम~~~
सांई-का-आँगन
है यह
फूल भी है और कान्टे भी
सुख भी है और दुख भी
अच्छाई भी है और बुराई भी
मिलन भी है और जुदाई भी है
दोस्ती भी है और दुश्मनी भी है
सांई-का-आँगन
है यह
फूल भी मुरझा जाते है और कान्टे ही फूल बन जाते है
सुख भी चले जाते है और दुख ही सुख बन जाते है
अच्छाई भी समाप्त हो जाटी है और बुराई ही अच्छाई बन जाती है
मिलन भी नहीं होता है और जुदाई ही मिलन बन जाती है
दोस्ती भी खत्म हो जाती है और दुश्मनी ही दोस्ती बन जाटी है
सांई-का-आँगन
है यह
है नहीं कुछ भी सांई से बङकर
क्यों करूं चिन्ता मैं इन सब आती जाती चीज़ों की
सांई है हमेशा मेरे साथ
आज भी कल भी सदैव भी
सांई वास करता है इन सब ही चीज़ों मैं
तो अब चाहे
फूल मिले या कान्टे
सुख मिले या दुख
अच्छा हो या बुरा
मिलन हो या जुदाई
दोस्ती हो य दुश्मनी
सांई तो है सभी में
सांई तो है सभी में
है यही
सांई-का-आँगन
~ Sai Preet
जय सांई राम~~~