ॐ साईं राम
सीमोंल्लंघन
समय॰॰॰॰॰॰॰ २॰३० दोपहर
दिवस॰॰॰॰॰॰॰विजयादशमी १९१८
स्थान॰॰॰॰॰॰॰शिरडी
भाव॰॰॰॰॰॰॰॰॰सभी शिरडी वासियों के
सीमोंल्लंघन करके साईं
चले गए तुम आज
ना मुडके देखा हमको
ना तुमने दी आवाज़
गरीबों का मसीहा
दुखियों का था सहारा
बस छोड गया देह को
किया सबसे ही किनारा
कितनी ही आँखें भीगी
कितने ही प्राण छूटे
कितने ही ख्वाब बिखरे
कितने ही सपने टूटे
ना चिडिया कोई चहकी
ना फूल मुस्कुराए
ग़मों के काले साऐ
हर ज़िन्दगी पे छाए
दसों दिशाऐं सिसकीं
पृथ्वी का सीना काँपा
दुनिया के हर ज़र्रे में
दुखों का सागर व्यापा
तुम चल दिए तो चल दिया
दुनिया का नूर सारा
चहूँ ओर ही फैला है
कालरात्री का अँधियारा
वो करुणामयी आँखे
आशिश में उठा हाथ
श्री चरणों की शरण वो
उन सब का छूटा साथ
वो भक्ति भाव लहरी
हर हृदय में थी रहती
शिरडी के हर कूचे में
साईं नाम धुन थी बहती
मस्जिद में गूँजता वो
शँख नाद न्यारा
हर पल धधकती धूनि
प्रवचन वो प्यारा प्यारा
कैसे जिऐंगे देवा
तुम इतना तो बता दो
तुम्हारे बिना जीने की
तुम हमको ना सजा दो
निवेदन है तुम्हीं से
ये भक्ति भाव भीना
ले जाओ हमें सँग में
हमको नहीं है जीना
~Sai Sewika
जय साईं राम