ॐ सांई राम!!!
इतनी सुंदर इतनी शांत,
मुस्कान आज जो देखी मैने,
सांई आप को क्या कहूं मैं,
क्या कुछ पा लिया मैनें,
उस एक मुस्कान पर सांई,
मैं अपना तन मन वार दूँ,
जी तो मेरा चाह रहा था,
जी जान सब वार दूँ~
इस अमृतमयी मुस्कान ने सांई,
मुझे तो तर बतर कर दिया,
इस अमृत गंगा में मैने
जी भर कर आज स्नान किया,
सारे ताप शांत हुए मेरे,
खुद पर ही काबू न रहा,
आप की प्यारी मुस्कान ने सांई
मुझे तो रुला ही दिया
ये आसूँ नहीं प्यार है सांई
जिन्हें मन ही मन मैने आप के चरणों पर चढ़ा दिया!!!
जय सांई राम!!!