ओम साईं राम
साईं सुमिरन जो करे, सो साईं को पाय
जन्म मरण छूटें सभी, भवसागर तर जाय
साईं सुमिरन से मिले, श्रद्धा और सबूरी
श्री चरणों मे जगह मिले,मिट जाय सब दूरी
साईं सुमिरन भजन से, बढे भक्ती विश्वास
साईं मे ही जा मिले जो साईंं का दास
साईं सुमिरन ध्यान से, मोह माया सब छूटे
परम सत्य का ग्यान हो, जग के बंधन टूटे
साईं सुमिरन नाव है, इसमें हो जो सवार
सहज हाथ में थाम ले, भक्ती की पतवार
साईं सुमिरन डोर है, साईं से जो जोडे
प्रेम करे सब जीवों से, भेदभाव सब छोडे
साईं सुमिरन इक रास्ता, इस पर चलते जाओ
श्वास श्वास से सिमर कर, साईं मंज़िल पाओ
साईं सुमिरन नदी है, डूबो गोते खाओ
निर्मल पावन मन होवे, मल विमुक्त हो जाओ
साईं सुमिरन जोत है जिसके मन में जागे
जीवन में उजियारा हो घोर अंधेरा भागे
साईं सुमिरन सीढी है, निशदिन चढते जाओ
साईं खडे हैं बांह फैलाए, उनमें आन समाओ
~Sai Sewika
जय साईं राम