ॐ साईं राम
इस जग में तुम सबसे सुंदर
इस जग में तुम सबसे सुंदर
हे मेरे चित्त चोर
तुम्हें निरख नित्त थिरके मेरे
चंचल मन का मोर
गणपति जैसे मंगलदायक
शुभसूचक सुखदायी
करूणामयी कल्याणी मूरत
तेरी साईं सहाई
सत्यवक्ता तुम राम सरीखे
अति विनम्र, गंभीर
सदाचारी, कोमल और निर्मल
जीवनदायी समीर
रवि तेज का पुँज है मुख पर
दमके स्वर्ण समान
नयनों में शीतलता जैसे
गगन में निकला चाँद
वैरागी शिव शंकर जैसे
महासमाधि में लीन
राजधिराज होकर भी रहते
ज्यों दीनों के दीन
कर्मयोगी और कर्मठ ऐसे
जैसे कृष्ण कन्हाई
जड चेतन और सारी सृष्टि
साईं में ही समाई
दुर्गा मइया जैसी ममता
तव नयनों से झलके
ह्रदय से प्रेम गंग की धारा
भक्तों के हित छलके
तुझमें देखूँ राम कृष्ण को
शिव को तुझमें ही पाऊँ
ममता की मूरत मैं तुझपे
वारि वारि जाऊँ
~ Sai Sewika
जय साईं राम