ॐ साई राम!!!
बाबा की आस~~~
आज सुबह तुम्हारे ही घर में बैठा
करता रहा मैं तुम्हारा इंतज़ार
तुम मेरी तस्वीर के सामने से
गुज़री भी थी सौ बार
पर एक बार भी तुम्हारा ध्यान
गया नहीं मेरी ओर
तुम्हारे इस आचरण से
मुझे हुई है पीडा घोर
यूँ तो तमने मेरी तस्वीर को
अपने मंदिर में लगाया है
पर लगता है जैसे सजावट के सामान की तरह
मुझे बस सजाया है
ऐसा ना होता तो
उठते ही आ जाती तुम मेरे पास
मुझे लगता था कि तुम्हारे जीवन में
मेरा महत्व है कुछ खास
मुझे आशा थी कि सुबह होते ही
तुम मेरे पास आओगी
हाथ जोडोगी और
श्रद्धा से सर झुकाओगी
पर ना तुमने मुझे देखा
ना मेरे पास आई
ना ही तुम्हारी भक्ति,
ना श्रद्धा मैंने पाई
फिर देर तक तुम
अपनी अल्मारी से कपडे निकालती रही
कभी उन्हें, फैलाती,
कभी संभालती रही
पर तैयार होकर भी तुम
मेरे पास नहीं आईं
बस सामने कुर्सी पर बैठी
और कुछ सोच कर मुस्कुराईं
मुझे पता है, उस समय
तुम्हारे पास कोई काम ना था
पर उस समय भी, तुम्हारे ज़हन में
मेरा नाम ना था
तभी तुम अचानक उठीं
मुझे लगा शायद अब तुम्हें
मेरा ख़्याल आ गया
पर मेरी आशा का फ़ूल
तो खिलते ही मुरझा गया
तुम सीधे फ़ोन के पास गई
अपने कुछ दोस्तों को फ़ोन मिलाया
फिर फ़ैशन और फिल्मों की बातों में
समय गंवाया
मैं ठंडी साँस भरके
तुम्हें काम पर जाते देखता रहा
और शायद वहीं तुम मुझसे बात करोगी
ये सोचता रहा
पर वहाँ तो तुम
घर से भी ज़्यादा व्यस्त थीं
काम में भी मुझे याद कर सकते हैं
इस बात की ना अभ्यस्त थीं
दोपहर को भोजन के समय
तुम थीं अपने मित्रों के साथ
उस समय भी तुम्हें
आई नहीं मेरी ज़रा भी याद
पता नहीं मुझे सबके बीच याद करना
तुम्हारा संकोच था या कुछ और
पर तुम्हारी झिझक से
मुझे पहुंचा था दुख घोर
ख़ैर मैंने सोचा
अभी तो बाकी है आधा दिन
तुम मुझे याद कर ही लोगी
किसी भी पल छिन
मैं तकता रहा
दिन भर तुम्हारी राह
तुमसे घडी दो घडी बात करने की
मेरी बडी थी चाह
तुम थकी माँदी
शाम को लौटीं जब घर
तब भी मुझसे बात करने का
तुम्हारे पास नहीं था अवसर
तुम घर के काम करती रहीं
जाने किन ख़्यालों में खोई रहीं
और मुझे यूँ नज़रअँदाज़ किया
जैसे मैं तुम्हारा कोई नहीं
मैं तब भी धैर्य से
प्रतीक्षा करता रहा कि तुम आओगी
ऑफिस में क्या क्या किया
मुझे सब बताओगी
पर एक बार फिर
तुमने मुझे मायूस किया
और मेरी ओर देखे बिना
टी वी का रिमोट थाम लिया
तुम देर तक टीवी के
चैनल बदलती रही
इधर तुम्हारी उपेक्षा से
मेरी बेचैनी बढती रही
ना चाहते हुए भी
तुमने टीवी के सामने वक्त गुज़ारा
और एक बार भी
मेरा नाम लेकर नहीं पुकारा
फिर तुम अपने घर वालों को
शुभरात्री कह कर
आराम से सो गईं
अपने बिस्तर पर जाकर
तुम्हें याद तक नहीं आया कि
तुम्हारा साईं तुम्हारे अँग सँग है, पास है
उसके मन में भी
अपने भक्तों से मिलने की आस है
पर मुझमें कितना धीरज है
यह मैं तुम्हें बताऊँगा
तुम चाहे मुझे याद ना करो,
फिर भी तुम्हारे पास मैं आऊँगा
मैं तुम्हारे एक इशारे, एक याद,
एक प्रार्थना, एक शुकराने का इंतज़ार करता हूँ
क्योंकि मैं अपने भक्तों के वश में हूं
उनसे बेइंतेहाँ प्यार करता हूँ
कल फिर सुबह होगी
कल फिर करूंगा मैं तुम्हारा इंतज़ार
तुम ज़रूर मेरे लिए समय निकालोगी
अगर तुम्हारे दिल में है मेरे लिए
ज़रा सा भी प्यार~~
~Sai Sewika & Tana
जय साईं राम!!!