ॐ साईं राम !!!
मेरे मन तू कितना पागल रे~
कितने धक्के मिले तुझे रे ~
फिर यहीं रहना चाहे रे~
कूकर सा जीवन बना तेरा~
ठोकरे, लाते , जूते खाये~
पर तू बाज़ न आए रे~
हड्डी देखे पूंछ हिलाए~
क्यों न तू घबराए रे~
क्या पडा इस अंध कूप में ~
कौन सा सुख तू पाए रे~~
जय साईं राम!!!
मेरे मन तू कितना पागल रे~
कितने धक्के मिले तुझे रे ~
फिर यहीं रहना चाहे रे~
कूकर सा जीवन बना तेरा~
ठोकरे, लाते , जूते खाये~
पर तू बाज़ न आए रे~
हड्डी देखे पूंछ हिलाए~
क्यों न तू घबराए रे~
क्या पडा इस अंध कूप में ~
कौन सा सुख तू पाए रे~~
जय साईं राम!!!