ॐ साईं राम!!!
भावनाएं है क्यों न समझा कोई,
मानो तो बहुत कुछ न मानों तो कुछ भी नहीं,
भावना हो प्रबल तो पत्थर में भी ऱब मिल जाए,
भावना न हो तो सामने खङा ऱब नज़र न आए,
भावना अच्छे को बुरा,बुरे को को अच्छा बनाए,
यही भावना हर इंसा का रूप सजाएं,
ये होती बङी ही कोमल,हल्की सी ठेस इन्हे तोङ जाए,
इतनी कोमल,इतनी नाज़ुक पर इतनी बलवान,
कि ऱब को भी रखती बंधाएं~~~
जय साईं राम!!!
भावनाएं है क्यों न समझा कोई,
मानो तो बहुत कुछ न मानों तो कुछ भी नहीं,
भावना हो प्रबल तो पत्थर में भी ऱब मिल जाए,
भावना न हो तो सामने खङा ऱब नज़र न आए,
भावना अच्छे को बुरा,बुरे को को अच्छा बनाए,
यही भावना हर इंसा का रूप सजाएं,
ये होती बङी ही कोमल,हल्की सी ठेस इन्हे तोङ जाए,
इतनी कोमल,इतनी नाज़ुक पर इतनी बलवान,
कि ऱब को भी रखती बंधाएं~~~
जय साईं राम!!!