ॐ साईं राम
साईं सतचरित्र
साईं सतचरित्र नाम की
महागंग है एक
इसमें डूब के तर गए
साईं भक्त अनेक
साईं मार्ग का जान लो
ये है अनुपम मोती
भक्तों के जीवन में जगती
इससे जगमग ज्योति
बाबाजी के जीवन की
इसमें सकल है गाथा
जो बांचे इसे प्रेम से
सो अतिशय सुख पाता
साईं नाथ का नाम ले
भाव की जोत बना लो
अश्रु घी बन जाएंगे
प्रेम का दीप जला लो
श्रद्धा और सबूरी से
अपने मन को भर लो
चिन्तन, मनन,ध्यान फिर
साईं नाथ का कर लो
मन में धर के धारणा
निशदिन पढो पढाओ
हर अक्षर के संग में
साईं साईं ध्याओ
सांयकाल या प्रातः हो
जब जी चाहे पढना
या फिर सप्ताह पाठ ही
चाहे इसका धरना
समय हो चाहे खुशी का
या आपद की घात
पढो समय कट जावेगा
यही सार की बात
सतचरित्र के पठन से
बढे भक्ति और ज्ञान
पतित आत्मा पावन हो
जन का हो कल्याण
अविद्या का नाश कर
काटे पाप के कर्म
भवसागर से पार हो
समझ गया जो मर्म
सतचरित्र के पाठ से
खुले मोक्ष के द्वार
जन्म मरण छूटे सभी
जन का हो उद्धार
~सांई सेविका
जय साईं राम