ॐ साईं राम
साईं अपरम्पार तुम
शिवजी के अवतार तुम
भक्त जनों का करने तारण
मानव चोला कर लिया धारण
धरती पर उतरे कैलासी
बन कर देवा शिरडी वासी
विरक्ति वही विराग वही था
नवजीवन पर त्याग वही था
त्रिशूल छोड कर सटका थामा
जटाधारी ने पटका बांधा
व्याघ्र चर्म को छोड़ के दाता
कफनी धारण करी विधाता
त्याग कमंडल पकडा टमरैल
सबके दिल का धोते मैल
शिव साईं ने मांगी भिक्शा
मालिक एक की देते शिक्शा
जटा की गंगा चरण में लाए
भक्त जनों का मन हरषाए
तन की भस्म की करी विभूति
स्वंय हाथ से देते ऊदि
मृगछाला का छोड बिछोना
शुरु किया तख्ते पर सोना
उसके भी टुकड़े कर डाले
शिव साईं के रंग निराले
वीतरागी थे महा अघोरी
सबके दिल की करते चोरी
अमृत छोड के विष पी जाते
भक्तों का हर दुख अपनाते
शिवशंकर साईं भगवान
कोटि कोटि है तुम्हें प्रणाम
~साईं सेविका
जय साईं राम