ॐ साईं राम
कल रात सपने में मैंने
बाबा जी को देखा
आंखों से आंसू झरते थे
मिट गयी थी स्मित रेखा
सिसक रहे थे मेरे बाबा
भरते लम्बी आँहें
भक्तों ने ये क्या कर डाला
चाहे या अनचाहे
मैंने तो समझा था मेरे
प्यारे भक्त अनेक
मिल जुल नाम करेंगे रोशन
मेरा सहित विवेक
देख देख गदगद होता था
सुंदर द्वारकामाई
दूर दूर के भक्तों ने
भावो. से जो सजायी
अनुभव कोई सुनाता अपने
नाम जाप कोई करता
मुझको सबने मान लिया था
सुख करता दुःख हरता
कुछ दिन से पर लगता ऐसा
भक्त खो गए सारे
तू तू मैं मैं पर आ उतरे
जो थे मेरे प्यारे
उलझन में यूँ उनको पाकर
मन रोता है मेरा
क्यूँ मेरे मन्दिर में छाया
अहम् भाव का घेरा
क्या मैं समझूं भक्तों का
विशवास ना मैंने जीता
या फिर श्रद्धा और सबुरी
से उनका मन रीता
घायल मन है दुखी आत्मा
देख सको तो देखो
नाम छोड़ कर भटक रहे हैं
मेरे भक्त अनेकों
बाबा जी की व्यथा जान कर
मन मेरा भी रोया
बाबा हमको वापस दे दो
जो भी हमने खोया
मानव हैं हम हमसे दाता
भूल हो गयी भारी
हाथ जोड़कर क्षमा माँगते
तुमसे बारी बारी
बस अपना आशीष और प्यार
मैया हमको दे दो
अहम् भाव सब तुम्हें समर्पण
इसको तुम ही ले लो
वादा करते हैं हम तुमसे
फिर ना होगा ऐसा
जैसा तुम चाहते हो साईं
मन्दिर रहेगा वैसा
~सांई सेविका
जय साईं राम