ॐ सांई राम!!!
सांई तेरी आँखें~~~
जब जब देखूं मैं तेरी आँखों में सांई,
लगता है ये कुछ तो बोल रही है,
मेरी आँखों की नमी तेरी आँखों मैं सांई,
लगता है राज़ ये कुछ तो खोल रही है~
सांई तुझसे एक मुलाकात पर लुटा दूँ,
मैं सारी दुनिया की दौलतें,
पर ये भी तो सच है मेरे सांई,
इस मुलाकात तो कोई मोल नहीं है,
मेरी आँखों की नमी............
जब भी सांई मैने तुझे है पुकारा,
तेरी प्रीत ने दिया है हर मोङ पर सहारा,
मेरी प्रीत को शायद लगता है सांई,
अब तेरी प्रीत भी तोल रहे है,
मेरी आँखों की नमी............
सहना पङा है तुझ को भी मेरी,
खातिर बहुत कुछ सांई,
ना छुपा पाया तूँ भी कुछ मुझ से सांई,
तेरी आँखें हर पोल खोल रही है,
मेरी आँखों की नमी............
रंग गया है लगता है तूँ भी सांई,
प्रीत क कुछ अज़ब ही रंग है,
रंग ले मुझको भी इस रंग में सांई,
तेरी "सुधा" कब से ये रंग घोल रही है~~~
~सांईसुधा
जय सांई राम!!!