ओम साईं राम
मेरे बाबा को बहुत ही
भाते हैं ये आंसू
जब याद उनकी आती है
संग आते हैं ये आंसू
सच्चे प्रेम के साक्षी हैं
साथी हैं ये आंसू
विरह नहीं सह पाते हैं
जज़्बाती हैं ये आंसू
होंठ जब खामोश रहें
सब कह जाते हैं ये आंसू
जब ज़ोर कहीं नहीं चलता तो
बह जाते हैं ये आंसू
बाबा को याद करके
आते हैं जब आंसू
आंसू नहीं रहते
फूल बन जाते हैं आंसू
हाले दिल साईं को
सुनाते हैं आंसू
भक्ती की ऊंची सीढी पर
चढ जाते हैं आंसू
बाबा की नज़रों से ना
बच पाते हैं आंसू
डोर बनके उनको पास
ले आते हैं आंसू
दरिया से भी गहरे और
खारे हैं ये आंसू
इसीलिये तो बाबा को
प्यारे हैं ये आंसू
~साईं सेविका
जय साईं राम