ॐ साईं राम
बस इतना ही मांगा है
साईं तेरी दासी ने
पावन चरणों की धूलि ने
शुभ दर्शन की प्यासी ने
साईं अपने भक्त जनों में
मुझको भी शामिल कर लो
सच्ची भक्ति मैं कर पाऊँ
देवा मुझको ये वर दो
जग की कोई आशा तृष्णा
मुझे ना विचलित करने पाए
वैभव या कोई महा प्रलोभन
साईं कभी ना मुझे लुभाए
"मैं" मर जाए साईं मेरा
अहम भाव का नाश हो
पर निंदा कर पाऊँ किसी की
ऐसा ना अवकाश हो
भक्ति का दिखावा ना हो
आडम्बर में पडूं नहीं
जो भी तुमने शिक्षा दी है
जीवन में बस करूँ वही
नाम तेरे की जोत अखंड से
मन का दूर अंधेरा हो
ज्ञान चक्षु खुल जाएं मेरे
जीवन मे नया सवेरा हो
मुझमें और तुझमें हे साईं
अब ना कोई दूरी हो
क्षण भर भी मैं भूलूं तुझको
ऐसी ना मजबूरी हो
आगम, अस्तित्व, अस्त मेरा
तुझसे ही बस जुडा रहे
कभी किसी क्षण जीव मेरा
तुझसे ना कभी जुदा रहे
शांत भाव , एकांत वास में
साईं तुझको ध्याऊँ मैं
ध्याता तू है, ध्येय भी तू ही
साईं तुझको पाऊँ मैं
गत जन्मों के सारे बन्धन
दाता अब तो तोडो तुम
अधम जीव को पार लगा दो
बीच भंवर ना छोडो तुम
~सांई सेविका
जय साईं राम