ॐ साईं राम
बहुत कुछ कहना है तुमसे बाबा
पर कह नही पाती हूँ
अक्सर शब्दों का पीछा करते करते
थक सी जाती हूँ
बैठ जाती हूँ फिर यूँ ही
चुपचाप, गुमसुम
तभी होले से,पीछे से
आ जाते हो तुम
कुछ नईं पँक्तियां
मेरे कानों मे गुनगुनाते हो
शब्दों के ताने बाने
मुझे तुम सुनाते हो
थमा देते हो लेखनी
फिर मेरे हाथों में
चढ जाते हैं कई शब्द
ज़िन्दगी के खातों में
तुम्हारी मीठी सी महक लेकर
फिर नई कविता उभर आती है
बस यूँ ही तेरे ख्यालों में
ये उम्र गुज़री जाती है
~सांई सेविका
जय साईं राम