ॐ सांई राम!!!
तुझको मनाना है सांई!!!
आता है तुझ को बता क्या मज़ा
मुझको यूँ सताने में सांई,
उम्र बीत जायेगी यूँ मेरी
तुझको मनाने में मेरे सांई~
जोङ बैठी हूँ अपना नाम,
तेरे नाम के साथ मेरे सांई,
आ जाएगा कभी तो जिक्र मेरा भी,
तेरे किसी फसाने में सांई~
तेरे साथ लगता है इतना
प्यार मुझे मेरे सांए,
क्या बिगङेगा तेरा भी मेरा
साथ निभाने में सांई~
याद तेरी आती है तो रो
लेती हूँ मेरे सांई,
मिल जाता है कुछ तो सुकून
दामन को भिगोने में सांई~
कबूल कभी तो करोगे तुम
भी मौहब्ब्त है हम से सांई,
लगेगा मगर ना जाने कितना
वक्त तुझ को ये जताने में सांई~
बिछङे हुए ज़माना बीत गया
अभी-अभी मिले थे ऐसा लगता है मेरे सांई,
हर कोशिश हुई नाकाम मेरी
तेरा वो प्यार भुलाने में सांई~
मत तोल मेरे प्यार को
रिश्तों में मेरे सांई,
बहुत दर्द होता है इन
रिश्तों के टूट जाने में सांई~
कभी तो मिलोगे किसी मोङ पर
ज़िन्दगी एअक सफर ही तो है मेरे सांई,
मिल के बिछङना यही तो रीत
बनाई है तूने मेरे सांई~
~सांईसुधा
जय सांई राम!!!