Tuesday, July 21, 2009

ॐ सांई राम!!!

तुझको मनाना है सांई!!!

आता है तुझ को बता क्या मज़ा
मुझको यूँ सताने में सांई,
उम्र बीत जायेगी यूँ मेरी
तुझको मनाने में मेरे सांई~

जोङ बैठी हूँ अपना नाम,
तेरे नाम के साथ मेरे सांई,
आ जाएगा कभी तो जिक्र मेरा भी,
तेरे किसी फसाने में सांई~

तेरे साथ लगता है इतना
प्यार मुझे मेरे सांए,
क्या बिगङेगा तेरा भी मेरा
साथ निभाने में सांई~

याद तेरी आती है तो रो
लेती हूँ मेरे सांई,
मिल जाता है कुछ तो सुकून
दामन को भिगोने में सांई~

कबूल कभी तो करोगे तुम
भी मौहब्ब्त है हम से सांई,
लगेगा मगर ना जाने कितना
वक्त तुझ को ये जताने में सांई~

बिछङे हुए ज़माना बीत गया
अभी-अभी मिले थे ऐसा लगता है मेरे सांई,
हर कोशिश हुई नाकाम मेरी
तेरा वो प्यार भुलाने में सांई~

मत तोल मेरे प्यार को
रिश्तों में मेरे सांई,
बहुत दर्द होता है इन
रिश्तों के टूट जाने में सांई~

कभी तो मिलोगे किसी मोङ पर
ज़िन्दगी एअक सफर ही तो है मेरे सांई,
मिल के बिछङना यही तो रीत
बनाई है तूने मेरे सांई~

~सांईसुधा

जय सांई राम!!!
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