ॐ सांई राम!!!
वही सूरत वही मूरत ~
क्या रूप सलौना मेरे साईं का~
हर बार वही गजब~
हर बार मेरे दिल में ~
तुझे देखने के बाद वही तड़प ~
कितना सुन्दर रूप है तेरा~
भोली सी सूरत~
चौड़ा सा माथा~
लंबी सी अंगुलियाँ प्यारे हाथ~
इन हाथों में कैसी बरकत ~
जिस सिर पर आ जाए एक बार~
भर जाता उस का भंडार ~
धन का भडारं तो सब भर देते~
ये भरते मन का भंडार ~
इन हाथों का अजब करिश्मा ~
मैं जो महसूस करती हर बार ~
जब ये मुझको छू जाते ~
आँखों में भर जाता नीर ~
रूह तक काँप उठती मेरी ~
बस में नहीं रहता मेरा शरीर ~
यूँ लगता सब कुछ मिल गया ~
मिट जाती मन की हर पीर ~~~
जय सांई राम!!!
वही सूरत वही मूरत ~
क्या रूप सलौना मेरे साईं का~
हर बार वही गजब~
हर बार मेरे दिल में ~
तुझे देखने के बाद वही तड़प ~
कितना सुन्दर रूप है तेरा~
भोली सी सूरत~
चौड़ा सा माथा~
लंबी सी अंगुलियाँ प्यारे हाथ~
इन हाथों में कैसी बरकत ~
जिस सिर पर आ जाए एक बार~
भर जाता उस का भंडार ~
धन का भडारं तो सब भर देते~
ये भरते मन का भंडार ~
इन हाथों का अजब करिश्मा ~
मैं जो महसूस करती हर बार ~
जब ये मुझको छू जाते ~
आँखों में भर जाता नीर ~
रूह तक काँप उठती मेरी ~
बस में नहीं रहता मेरा शरीर ~
यूँ लगता सब कुछ मिल गया ~
मिट जाती मन की हर पीर ~~~
जय सांई राम!!!