ॐ साईं राम
मैंने आम बोने वालों को
बबूल काटते देखा है
मैंने प्यार पाने वालों को
नफरत बाँटते देखा है
मैंने पूजा करने वालों को
पाप करते देखा है
मैंने ज़िंदा शरीरों में
आत्माओं को मरते देखा है
मैनें नाविक को खुद ही अपनी
नौका डुबोते देखा है
मैनें सीप के अँदर ही
मोती को खोते देखा है
मैनें गुलाब के फूलों को
काँटा चुभते देखा है
मैनें भरी दोपहरी में
सूरज डूबते देखा है
मैनें लोगों को अपने ही पैर पे
कुल्हाडी मारते देखा है
मैनें विजयी रहने वालों को
ज़िंदगी हारते देखा है
मैनें ठहाके लगाने वालों के
सीने का दर्द देखा है
मैनें गर्म मिजाज वालों के
लहू को सर्द देखा है
मैनें लोगों को अपने अरमानों की
होली जलाते देखा है
मैनें माँ बाप को बच्चों के हाथों
ज़िल्लत पाते देखा है
मैनें रेशमी परिधानों में
पैबंद लगे देखे हैं
और अपनों की आहूति देते
अपने ही सगे देखे हैं
मैनें कलियुग को हौले हौले
दुनिया पर छाते देखा है
और चुपके चुपके दबे पाँव
प्रलय को आते देखा है
कितना अचरज है ना साईं.............
इतना सब कुछ देखने पर भी
मैं क्षण क्षण साँस भरती हूँ
क्यूँ नहीं कोई देख पाता
हर पल ही तो मैं मरती हूँ
जय साईं राम
मैंने आम बोने वालों को
बबूल काटते देखा है
मैंने प्यार पाने वालों को
नफरत बाँटते देखा है
मैंने पूजा करने वालों को
पाप करते देखा है
मैंने ज़िंदा शरीरों में
आत्माओं को मरते देखा है
मैनें नाविक को खुद ही अपनी
नौका डुबोते देखा है
मैनें सीप के अँदर ही
मोती को खोते देखा है
मैनें गुलाब के फूलों को
काँटा चुभते देखा है
मैनें भरी दोपहरी में
सूरज डूबते देखा है
मैनें लोगों को अपने ही पैर पे
कुल्हाडी मारते देखा है
मैनें विजयी रहने वालों को
ज़िंदगी हारते देखा है
मैनें ठहाके लगाने वालों के
सीने का दर्द देखा है
मैनें गर्म मिजाज वालों के
लहू को सर्द देखा है
मैनें लोगों को अपने अरमानों की
होली जलाते देखा है
मैनें माँ बाप को बच्चों के हाथों
ज़िल्लत पाते देखा है
मैनें रेशमी परिधानों में
पैबंद लगे देखे हैं
और अपनों की आहूति देते
अपने ही सगे देखे हैं
मैनें कलियुग को हौले हौले
दुनिया पर छाते देखा है
और चुपके चुपके दबे पाँव
प्रलय को आते देखा है
कितना अचरज है ना साईं.............
इतना सब कुछ देखने पर भी
मैं क्षण क्षण साँस भरती हूँ
क्यूँ नहीं कोई देख पाता
हर पल ही तो मैं मरती हूँ
जय साईं राम