ॐ सांई राम!!!
गिद्धों और हम इंसानों में ,
कहा कुछ खास अंतर है,
वो भी ताक में रहते है, हम भी ताक में रहते है,
अंतर है तो बस इतना वो मुर्दों को खाते है, हम जिंदों को खा जाते है,
वो सब के सामने खाते है, हम छुप छुप अंदर खाते है,
वो हड्डिया तो बचा देते है, हम तो वो भी खा जाते है,
वो सब मिल कर खाते है, हम एक दूजे को खाते है,
वो गंदगी साफ करते है, हम गंदगी बढ़ाते जाते है,
ये अंतर देख कर आत्मा रोती , और फिर खुद को कितना नीचा पाते है!!!
जय सांई राम!!!
गिद्धों और हम इंसानों में ,
कहा कुछ खास अंतर है,
वो भी ताक में रहते है, हम भी ताक में रहते है,
अंतर है तो बस इतना वो मुर्दों को खाते है, हम जिंदों को खा जाते है,
वो सब के सामने खाते है, हम छुप छुप अंदर खाते है,
वो हड्डिया तो बचा देते है, हम तो वो भी खा जाते है,
वो सब मिल कर खाते है, हम एक दूजे को खाते है,
वो गंदगी साफ करते है, हम गंदगी बढ़ाते जाते है,
ये अंतर देख कर आत्मा रोती , और फिर खुद को कितना नीचा पाते है!!!
जय सांई राम!!!