ॐ साईं राम!!!
मेरे साईं~ मेरे बाबा !!!
तुझे कैसे रिझाऊं मैं ?
कोई गुण नहीं , कोई रूप नहीं~
कोई बड़ा जगत में मान नहीं~
कोई कर्म नहीं , कोई दान नहीं~
बस , इक चाहत है मन में~
इक बार तुझे मिल जाऊं मैं~
इस मन की प्यास बुझाऊं मैं~
इस अमृत को पी जाऊं मैं~
जी भर कर तुझे रिझाऊं मैं~~
जय साईं राम!!!
मेरे साईं~ मेरे बाबा !!!
तुझे कैसे रिझाऊं मैं ?
कोई गुण नहीं , कोई रूप नहीं~
कोई बड़ा जगत में मान नहीं~
कोई कर्म नहीं , कोई दान नहीं~
बस , इक चाहत है मन में~
इक बार तुझे मिल जाऊं मैं~
इस मन की प्यास बुझाऊं मैं~
इस अमृत को पी जाऊं मैं~
जी भर कर तुझे रिझाऊं मैं~~
जय साईं राम!!!