ॐ साईं राम!!!
बेटी बन कर आई हूँ माँ -बाप के जीवन में ~
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में~~
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई होगी~
कहते है आज नहीं तो कल तूं पराई होगी~~
देकर जन्म पाल-पोस कर जिसने हमें बड़ा किया~
और वक्त आया तो उन्हीनें हमको विदा किया~~
बेटियाँ इसे समझकर परिभाषा अपने जीवन ही~
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की~~
टूट के बिखर जाती है हमारी ज़िंदगी वही~
पर फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ज़रूरी तो नहीं~~
क्यू रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है~
क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है....???
जय साईं राम!!!
बेटी बन कर आई हूँ माँ -बाप के जीवन में ~
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में~~
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई होगी~
कहते है आज नहीं तो कल तूं पराई होगी~~
देकर जन्म पाल-पोस कर जिसने हमें बड़ा किया~
और वक्त आया तो उन्हीनें हमको विदा किया~~
बेटियाँ इसे समझकर परिभाषा अपने जीवन ही~
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की~~
टूट के बिखर जाती है हमारी ज़िंदगी वही~
पर फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ज़रूरी तो नहीं~~
क्यू रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है~
क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है....???
जय साईं राम!!!