ॐ साईं राम!!!
साईं , अब मैं थकने लगी हूँ~
जीवन बोझ सा बन गया है मेरा,
भीड़ में दम घुटने लगा है,
सारी बातें नीरस लगती है,
बार-बार वही बाते सुनकर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
हंसने को दिल नहीं चाहता है,
पर झूठा मुस्कुरा मुस्कुरा कर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
सच्चा प्यार नहीं रखता कोई,
और झूठा प्यार निभा निभा कर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
अपनी शीतल छाया दो, अमृत की वर्षा मुझ पर कर दो मेरे साईं~
अब और सहा नहीं जाता ,तेरे बन अब रहा भी नहीं जाता~
अब जीवन की शाम हो गयी है साईं~
अब वापिस तेरे पास आना चाहूँ साईं~
रात को तेरी गोदी में जी भर कर सोना चाहूँ मेरे साईं~
थपकियाँ कोमल हाथों की अब मैं चाहूँ साईं~
अब सो कर कभी नहीं जगाना चाहूँ मैं साईं~~
जय साईं राम!!!
साईं , अब मैं थकने लगी हूँ~
जीवन बोझ सा बन गया है मेरा,
भीड़ में दम घुटने लगा है,
सारी बातें नीरस लगती है,
बार-बार वही बाते सुनकर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
हंसने को दिल नहीं चाहता है,
पर झूठा मुस्कुरा मुस्कुरा कर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
सच्चा प्यार नहीं रखता कोई,
और झूठा प्यार निभा निभा कर साईं अब मैं थकने लगी हूँ~
अपनी शीतल छाया दो, अमृत की वर्षा मुझ पर कर दो मेरे साईं~
अब और सहा नहीं जाता ,तेरे बन अब रहा भी नहीं जाता~
अब जीवन की शाम हो गयी है साईं~
अब वापिस तेरे पास आना चाहूँ साईं~
रात को तेरी गोदी में जी भर कर सोना चाहूँ मेरे साईं~
थपकियाँ कोमल हाथों की अब मैं चाहूँ साईं~
अब सो कर कभी नहीं जगाना चाहूँ मैं साईं~~
जय साईं राम!!!