ॐ सांई राम!!!
कभी हस लिया कभी रो लिया~
कभी खा लिया कभी सो लिया~
कभी सोते दामन भिगो लिया~
कभी खुद को खुद में डुबो लिया~
कभी भाग जाने को दिल किया~
कभी ये किया कभी वो किया~
एक पल जो सोचा बैठ कर~
अरे ये क्या हमने कुछ भी नहीं किया~
जो गुनाह किया उसका फल लिया~
शायद यही एक भला हुआ~
जो मेरा गुनाह मुझे बयां हुआ~
माफिया मांगी मैने किये सज़दे~
पर गुनाह तो गुनाह किया..........
जय सांई राम!!!
कभी हस लिया कभी रो लिया~
कभी खा लिया कभी सो लिया~
कभी सोते दामन भिगो लिया~
कभी खुद को खुद में डुबो लिया~
कभी भाग जाने को दिल किया~
कभी ये किया कभी वो किया~
एक पल जो सोचा बैठ कर~
अरे ये क्या हमने कुछ भी नहीं किया~
जो गुनाह किया उसका फल लिया~
शायद यही एक भला हुआ~
जो मेरा गुनाह मुझे बयां हुआ~
माफिया मांगी मैने किये सज़दे~
पर गुनाह तो गुनाह किया..........
जय सांई राम!!!